रोगी की दशा ऐसी होनी चाहिए कि सहज स्वाभाविक ढंग से योग तथा प्राकृतिक उपचार चलाया जा सके, क्योकि योग उपचार धीरे-धीरे प्रभाव डालता है और स्वस्थ होने में समय लगता है। इसमें धैर्य की भी आवश्यकता होती है।योग चिकित्सा उपचार करने के लिए अधिक बारीकी के टेस्टों व जांच की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योकि इस उपचार से पूरे शरीर की सफाई करके उसे शिथिल किया जाता है, ताकि शरीर की अपनी रोगो उपचार की शक्ति को जगाया जा सके और रोगी स्वस्थ हो जाये।
आजकल सब प्रकार के टेस्ट करवा लेने की सुविधाएं उपलब्ध है। इसलिए किसी अच्छे अनुभवी डाक्टर की देखरेख में आवश्यक जांच करवा लेनी चाहिए।रोग की गंभीरता का बहुत कुछ पता ह्रदय की धड़कन, श्वास की गति, जुबान के रंग, त्वचा की खुश्की, आंखो की चमक, चेहरे की घबराहट, बुखार की दशा, पेट की सफाई, भूख, पेशाब के रंग आदि से चल जाता है।इसलिए हेल्थ चेकप बहुत जरूरी है।
स्वस्थ व्यक्ति की पहचान
1 . नाड़ी : स्वस्थ व्यक्ति की नाड़ी एक मिनट में 72-75 बार चलनी चाहिए।जन्म के समय बच्चे की नाड़ी 140 बार एक मिनट में।इसके बाद आयु बढ़ने के साथ-साथ नाड़ी की गति कम हो जाती है। बुढ़ापे में 60 से 70 बार तक चलती है।
2 . श्वास :सामान्य व्यक्ति एक मिनट में 14 से 18 बार श्वास लेता है।योगाभ्यासी व्यक्ति की श्वास 12-16 बार चलती है श्वास में आवाज है, तो छाती में कफ इकट्ठा हो रहा है। श्वास में बहुत बदबू आ रही है, नाक बार-बार बंद हो जाती है, मुख से श्वास लेना पड़ता है, तो समझना चाहिए कि शरीर में बहुत अधिक विकार इकट्ठा है।
3 . जिह्वा : जिह्वा पर सफेद परत जमी है, तो पाचन ठीक नहीं, पेट साफ नहीं, शरीर में विकार बहुत है।जिह्वा खुरदरी, कटी-कटी बहुत सुर्ख है, तो गंभीर रोग है।
4 . बुखार : सामान्यतः शरीर का तापमान 98 डिग्री रहना चाहिए।अधिक है, तो बुखार है, कम है, तो बहुत कमजोरी है, सावधानी की आवश्यकता है।
5 . भूख : भूख अधिक लगती है और खाया पिया लगता नहीं, तो पेट में कीड़े है। पेट में दर्द रहता है, कभी कब्ज हो जाती है, कभी दस्त लग जाते है, भूख कम लगती है, तो गयी है, शरीर में रोग पनप रहे है।यदि भूख नहीं लगती, शरीर कमजोर होता जा रहा है, चेहरा पीला पड़ता जा रहा है, तो शरीर में कोई गंभीर रोग। है जल्दी उपचार की जरूरत है।
6 . पेशाब : पेशाब का रंग हल्का पीला रंग लिए साफ होना चाहिए। यदि जलन होती है, पेशाब कम होता है, रंग अधिक पीला है, तो गर्मी के रोग है।पेशाब गंदला है, गाढ़ा है, कम होता है, तो गुर्दे में या कहीं अंदर इंफेक्शन है, गुर्दों में खराबी आ रही है, पेशाब बार-बार आता है, चिपचिपा है, रोगी के में चीटियां लगती है, तो मधुमेह (शुगर) रोग है।रोग की जांच लैबोरेटरी से करवाई जा सकती है।
- कोई भी रोग पुराना ऐसे ही नहीं होता।जब छोटी-छोटी बीमारियों पर ध्यान नहीं दिया जाता, ढंग से उपचार नहीं किया जाता, केवल दवाइयों का सेवन किया जाता है।परहेज नहीं किया जाता, तो शरीर के अंदर के अंग दुर्बल हो जाते है, शरीर का विकार निकालने वाले अंग कमजोर हो जाते है।जिससे विकार शरीर में घर करने लगता है।
- जिसका परिणाम आयु के बढ़ने के साथ-साथ असाध्य रोग शरीर में घर कर जाते है, जिनका ठीक हो पाना असंभव हो जाता है, क्योंकि रोगों के कारण स्नायुमंडल निष्क्रिय हो जाता है।ऐसी दशा में बड़े धैर्य की आवश्यकता होती है।
- ऐसे रोगो में योग तथा प्राकृतिक उपचार ही लाभ पहुंचा सकता है।यदि थोड़ी भी जीवनी शक्ति या अंदर के अंगो में कुछ काम करने की शक्ति बची हुई है, तो योग से स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है।इसके लिए रोगी का विश्वास बढ़ाया जाएं, जिससे वह निश्चयपूर्वक उपचार करने लगे।
ये भी देखे : जोड़ो का दर्द दूर करने के 7 घरेलू उपचार
आपने इस आर्टिकल को पढ़ा इसके लिए आपका धन्यवाद करते है | कृपया अपनी राये नीचे कमेंट सेक्शन में सूचित करने की कृपा करें | 😊😊