Patience
आज में इस आर्टिकल में आपको धैर्य की आवश्यकता बताउंगी जो की आज के समय में बहुत जरूरी है।आपने यह कहावत तो सुनी होगी कि धैर्य का फल मीठा होता है। यह कहावत बहुत ही गहरे अनुभवों के बाद कही गई है। धैर्य बहुत बड़ा बल और उतावलापन याने अधैर्य बहुत बड़ी निर्बलता है।

जीवन में धैर्य का होना 

जो व्यक्ति धैर्य रखते है वे अपने लक्ष्य को पाने में जुटे रहते है, निरन्तर प्रयत्न करते रहते है और अन्ततः लक्ष्य पाने में सफल हो ही जाते है। पहिया चलता रहे तो गाड़ी मंजिल तक पहुंच ही जाती है। धैर्य ही वह पहिया है जो बंद न हो, तो यात्री अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है।इसमें देर भले ही हो सकती है पर अन्धेर नहीं हो सकती। 

जीवन में धैर्य का महत्व 

कुछ कार्य जीवन में सरल होते है झट से हो जाते है कुछ कार्य कठिन होते है और मुश्किल से हो पाते है, जबकि कुछ कार्य बहुत कठिन होते है और समय से पूरे नहीं हो पाते है। ऐसे ही कार्यो में धैर्य की जरूरत पड़ती है क्योकि धैर्य होगा तो ही हम निरन्तर प्रयत्नशील रह सकेंगे वरना धैर्य छूट जाने पर निराश होकर काम को अधूरा ही छोड़ देंगे।

जीवन में धैर्य और साहस की आवश्यकता 

 धैर्य और साहस परस्पर दोनों मित्र है और किसी भी गाड़ी के दो पहियों कि भांति है। पहियों में यदि 'स्थिर बुद्धि' की धुरी (एक्सिल) लगी होगी तो पहिये बराबर घूम सकेंगे।एक्सिल स्लिप हो जाये, टूट जाये तो गाड़ी आगे नही बढ़ सकेगी। इसलिए धैर्य बना रहे इसके लिए स्थिर बुद्धि का होना बहुत जरूरी है। बुद्धिहीन धैर्य नहीं रख पाते या यू कहिये कि धैर्यहीन होना बुद्धिमानी नहीं। 

धैर्य रूपी रस्सी 

धैर्य टूट जाना वैसा ही  होता है जैसे कोई रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ रहा हो और बीच में ही धैर्य रूपी रस्सी टूट जाये।ऊपर तक पहुंचने के लिए धैर्य रूपी रस्सी न टूटना अनिवार्य है। बार-बार प्रयत्न करना अन्ततः हमें सफल कर ही देता है। लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब हम धैर्य धारण किये रहे। 

धैर्य की परीक्षा 

विपत्ति के समय धैर्य ही हमारा सबसे बड़ा मित्र, सबसे बड़ा बल और सबसे जरूरी सहारा होता है और संकट के समय में ही धैर्य की परीक्षा भी हो जाती है।अतः हमें धैर्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए तभी हम जीवन की कठिन राहों पर, सच्ची और हितकारी राहों पर कदम बढ़ाते रह सकेंगे और कठिनाईयों व संघर्षो पर विजय पा सकेंगे।महापुरुषों ने हमे यही राह दिखाई है
जो धीर अर्थार्त धैर्यवान होते है उनके कदम न्याय मार्ग पर चलते हुए डगमगाते नहीं, विचलित नहीं होते। 

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