यह युवावस्था की एक सामान्य बीमारी है, जिससे आजकल के युवावर्ग बहुत परेशान रहते है क्योकि इस बीमारी के कारण चेहरे पर छोटी छोटी फुन्सिया पैदा हो जाती है जिनसे पीप भी निकलता रहता है | यह पीप चेहरे पर मुँहासे बढ़ाने पर सहायक होता है | जब ये ठीक हो जाती है ,तो उस स्थान पर काला धब्बा छोड़ देती है | इस प्रकार ये फुन्सिया चेहरे के रंग रूप, रौनक को कुरूप और भद्दा बना देती है | जो की आज की युवा पीढ़ी की सबसे बड़ी समस्या है | आज हम मुंहासो के लक्षण, कारण और घरेलु उपचार के बारे में जानेगे |
मुंहासों के लक्षण
यह रोग प्रायः युवक और युवतियों को सामान रूप से युवावस्था में होता है | सर्वप्रथम मुख मंडल पर छोटी छोटी
फुन्सिया उत्तपन्न होती है | जो अंकुरित अवस्था में कड़ी रहती है जिनको कंटक कहा जाता है | कुछ काल पशचात इनमे पीप (पस )पड़ जाती है | इस समय इन पर खुजली सी महसूस होती है, जिस कारण जाने या अनजाने में नाखूनों से खुजलाने से कील निकल आती है, जो पीप (पस) युक्त होती है | यह पीप जहां-जहां लगती है वहाँ-वहाँ पुनः नई फुन्सी उत्तपन्न हो जाती है और फिर क्रम चलता रहता है | फुन्सी से पीप व कील निकल जाने से उस स्थान का गड्ढ़ा भरना प्रारंभ होता है | भरने के पशचात वहा पर काला निशान पड़ जाता है जिस कारण यह रोग पुरे मुख मंडल को विकृत कर देता है | इसी वजह से युवावर्ग की सुंदरता का शत्रु बन गया है |
मुंहासों के कारण
यधपि अभी तक इसके निष्चित कारणों का पता नहीं लग सका है फिर भी ऐसा माना जाता है कि वसा ग्रंथियों की विकृति से, रोगाड़ु संक्रमड से,आमाशय तथा सम्पूर्ण आंत्र विकार से, कब्जियत की अधिकता रहने से, मासिक धर्म की अनियमितता से, मुखमंडल की रोजाना सफाई न करने से, अधिक चाय, मदिरा, मिर्च मसालों का अधिक सेवन, मास, मछली का अधिक उपयोग, या पाष्चात्य(एलोपैथी) चिकित्सा के मतानुसार पुरुषो के अंडकोष से टेस्टोस्टेरान और स्त्रियों के प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स का अधिक मात्रा में स्त्राव होना बताया जाता है |
मुंहासों का असली कारण यदि देखा जाए तो मेरे विचार से शरीर में जमा हुए विकारो का यह रोग एक प्राकृतिक संकेत मात्र है | जिस तेजी से मनुष्य मिर्च मसालों से युक्त खट्टे, तीखे अप्राकतिक भोजन, रहन सहन करता व बदलता है, शरीर रूपी मशीन उतनी तेजी के साथ सफाई का काम नहीं कर पाती और जिसका परिणाम मुंहासे है | मुख मंडल की त्वचा कोमल होने के कारण शरीर के विकार इसी मार्ग से फुटकर मुंहासों के रूप में प्रकट होते है |
मुंहासों के घरेलु उपाय
यदि मुंहासों से हमेशा के लिए मुक्ति पाना चाहते हो, तो आपको प्रक्रति के नियमो का पालन करना होगा | बिना प्रक्रति की सहायता के केवल औषधि सेवन या बाह्य प्रयोग से पूर्ण सफलता मिलना असम्भव सा है | सामान्य नियम जिनका पालन करना चाहिए, वे यह है ------
- मौसम के अनुसार स्वास्थ्यप्रद हरी सब्जियाँ, फलों का कुछ न कुछ सेवन नियमित रूप से करें |
- कब्ज बिलकुल न रहने दें | प्रातः शौच से पूर्व पानी पीए | सुबह शाम दो तीन मील घूमें |
- अपनी सामर्थ्य व रूचि के अनुसार व्यायाम करें और उसमें नियमितता का पालन करें |
- दिन भर में तीन चार बार मुख मंडल को पानी से समय समय पर साफ कर लिया करें | गर्म पानी की भाप से भी मुख मंडल साफ करना इस रोग में लाभदायक होगा |
- मुंहासों पर तेज साबुन का प्रयोग न करें | यहां पर इस रोग की आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक तथा एलोपैथिक चिकित्सा संकेत दिय जा रहे है | आशा है, की आप इनसे लाभ उठाएगे |
आयुर्वेदिक चिकित्सा
- अर्जुन वृक्ष की छाल सिरके में घिसकर दिन में दो बार मुंहासो पैर लगाऐ |
- सेमल के कांटो को ५-६ गुना दूध में पीस कर रोज़ाना पुरे मुख मंडल में मलकर सो जाएं फिर सुबह उठकर गरम पानी से साफ़ कर लें | ऐसा प्रयोग ८-१० दिन लगातार करें |
- बेसन संतरे के सूखे छिलके, चिरोंजी आंवला चूर्ण सबको पीस कर (चिरोंजी की मात्रा आधी रखें) रात को लगाकर सुबह धो ले |
- कब्ज दूर करने के लिए त्रिफला या हिंग्वाष्टक चरना का प्रयोग करे |
- गोरोचन व कालीमिर्च को बराबर मात्रा में दूध में भली प्रकार से मिला ले और रात्रि को सोने से पूर्व लगा लें | सुबह साफ़ कर लें |
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